कविता ख़त्म नहीं होगी,
वह चल चुकी थी गंतव्य के लिए,
सूर्योदय से बहुत पहले
जब तुम्हारे मन में विचार का भ्रूण उपजा था
और उसे लेकर तुम चल रहे थे खुद में,
उसमे अपनी साँसें भरते हुए,
साँचे में ढालते हुए
उड़ते हुए, तैरते हुए
विचारों से उपजे विचारों में,
हवा से हलके, नदी से गहरे
वह पहला शब्द जो तुमने लिखा था,
गहन अनुभूति से पाया
जिसे बाँट सकते थे तुम केवल एक हृदय के साथ
वह जो आत्मसात कर ले
तुम्हे और तुम्हारी कविता को
इन सबसे बहुत पहले जन्मी थी कविता,
और निकल चुकी थी अपने गंतव्य की ओर ,
गंतव्य जिसे तुम देख नहीं सकते,
जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते
तुम सूर्यास्त को देख सकते हो,
मगर डूब नहीं सकते-
सूर्य की लालिमा के साथ गहरे समुद्र में,
उग नहीं सकते भोर की फुटन के साथ, फ़ैल नहीं सकते
तुम साध नहीं सकते वो गहराइयाँ
जिनसे उपजी तुम्हारी कविता तुम्हे अपनी सी लगती है
कविता श्वास की तरह बहती है
और साथ कर लेती है तुम्हे भी
अपने अंतहीन सफर में क्षण भर का भागीदार बनाकर
और उसमे खोज लेते हो तुम कुछ अपना
नेत्रों के तालाब में अनंत की परछाईं सा
तुम्हारी नश्वरता माध्यम भी है और बाधा भी,
तुम्हारे और तुम्हारी कविता के बंधन की ।
वह चल चुकी थी गंतव्य के लिए,
सूर्योदय से बहुत पहले
जब तुम्हारे मन में विचार का भ्रूण उपजा था
और उसे लेकर तुम चल रहे थे खुद में,
उसमे अपनी साँसें भरते हुए,
साँचे में ढालते हुए
उड़ते हुए, तैरते हुए
विचारों से उपजे विचारों में,
हवा से हलके, नदी से गहरे
वह पहला शब्द जो तुमने लिखा था,
गहन अनुभूति से पाया
जिसे बाँट सकते थे तुम केवल एक हृदय के साथ
वह जो आत्मसात कर ले
तुम्हे और तुम्हारी कविता को
इन सबसे बहुत पहले जन्मी थी कविता,
और निकल चुकी थी अपने गंतव्य की ओर ,
गंतव्य जिसे तुम देख नहीं सकते,
जिसकी कल्पना भी नहीं कर सकते
तुम सूर्यास्त को देख सकते हो,
मगर डूब नहीं सकते-
सूर्य की लालिमा के साथ गहरे समुद्र में,
उग नहीं सकते भोर की फुटन के साथ, फ़ैल नहीं सकते
तुम साध नहीं सकते वो गहराइयाँ
जिनसे उपजी तुम्हारी कविता तुम्हे अपनी सी लगती है
कविता श्वास की तरह बहती है
और साथ कर लेती है तुम्हे भी
अपने अंतहीन सफर में क्षण भर का भागीदार बनाकर
और उसमे खोज लेते हो तुम कुछ अपना
नेत्रों के तालाब में अनंत की परछाईं सा
तुम्हारी नश्वरता माध्यम भी है और बाधा भी,
तुम्हारे और तुम्हारी कविता के बंधन की ।
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