कुछ एक तब्दीलियाँ, होश कहाँ?
खाबीता विसाल बेशाख्ता
लाज़मी है महज़ होना तेरा,
काजल-ओ-पाजेब हंगामा है
कोई चले कोई राहबर हो,
खुदापरस्त या कोई काफिर ही,
हवा चले तो तेरी खुशबू आये,
ज़िक्र-ए-बयान हंगामा है
तू नज़्म है तो फूट कर बह,
किसने रोका है तुझे?
किसका भरम किसकी हया,
शेर-ओ-ग़ज़ल हंगामा है
एक सांस है, एक डोर है,
टूटी चप्पलें हैं, क्या कैफियत?
पैबंद हैं कबसे अपने ही कपड़ों पर,
सीवन का रंज हंगामा है
खोजे किसे कौन, किस घडी?
डूबे तो डूबे तुझमे सारी ग़ज़लें,
गौर से देखा, दरिया न बयार तुझमे
तिनकों का शहर है और हंगामा है
खाबीता विसाल बेशाख्ता
लाज़मी है महज़ होना तेरा,
काजल-ओ-पाजेब हंगामा है
कोई चले कोई राहबर हो,
खुदापरस्त या कोई काफिर ही,
हवा चले तो तेरी खुशबू आये,
ज़िक्र-ए-बयान हंगामा है
तू नज़्म है तो फूट कर बह,
किसने रोका है तुझे?
किसका भरम किसकी हया,
शेर-ओ-ग़ज़ल हंगामा है
एक सांस है, एक डोर है,
टूटी चप्पलें हैं, क्या कैफियत?
पैबंद हैं कबसे अपने ही कपड़ों पर,
सीवन का रंज हंगामा है
खोजे किसे कौन, किस घडी?
डूबे तो डूबे तुझमे सारी ग़ज़लें,
गौर से देखा, दरिया न बयार तुझमे
तिनकों का शहर है और हंगामा है
एक सांस है, एक डोर है,
ReplyDeleteटूटी चप्पलें हैं, क्या कैफियत?
पैबंद हैं कबसे अपने ही कपड़ों पर,
सीवन का रंज हंगामा है
ati uttam.
dhanyawad sir!
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