Saturday, 2 May 2015

मोज़ीन-१/समय

समय क्या है?
तुम्हारे केश-विन्यास की उलझन?

समय में खोजते हैं हम
एक दूसरे को,
समय चुराकर रख लेते हैं हम
मुट्ठियों में बंद करके

समय से आँखें चुराकर
हम खर्च करते हैं,
हृदय का ताप ,आँखों की नमी
और समय फिसलकर फ़ैल जाता है,
तुम्हारी मुस्कान पर

समय छूटकर बह जाता है,
नदी के तट  से,
गीतों की अविरल धारा में

समय चला जाता है और
नहीं ही मिलता हमे
तलाश में किसकी हम साथ चलते हैं?

एक घडी की टिक-टिक से
समय भर जाता है मुझमे
जीवन भर के लिए
समय में सार्थक हो जाती हैं,
गीत-ग़ज़लें -कवितायेँ
मेरी-तुम्हारी-हमारी

तुम्हारी कलाई पर मैं
समय की अनुपस्थिति के चिन्ह पता हूँ

समय में हम खोजते हैं खुदको,
समय में तलाश ख़त्म होती है

समय क्या है?
क्षणों में युगों की यात्रा कराती,
मेरी हथेली पर अंकित,
तुम्हारी हथेलियों की ऊष्मा?

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