Wednesday, 19 March 2014

जागृति

मेरी आवाज़ सुनो
भूत के साए से दामन छुड़ाता,
भविष्य के स्वप्न में शह खोजता 
तुम्हारे अस्तित्व के अवलोकन में डूबा 
मैं वर्तमान हूँ तुम्हारा | 

मुझे गौर से देखो
आँखें बंद करने पर भी 
मैं कभी अदृश्य नहीं होता
प्रकाश और अन्धकार से पृथक 
मैं पारदर्शी सत्य हूँ तुम्हारा | 

मुझे आत्मसात कर लो 
तुम मुझसे ही बंधे हो
मैं ही तुम्हे स्वच्छंद करता हूँ  
तुम्हारी आब-ओ-हवा में शांत बहता 
मैं खोया आबिदीन हूँ तुम्हारा |    

मेरी खोज करो,
मैं ही अनुमेहा की शीतलता हूँ ,
मेरी तलाश भर ही उद्देश्य है, मेरी प्राप्ति तुम्हारा अंत 
सफ़र के हर मोड़ पर तुम्हे टुकड़ों में मिलती,
मैं तुम्हारी अन्तःजागृति हूँ | 

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